आँखें
डरता नहीं मैं दुनिया से मजरुह .
बस डरता हुं उस गुमनाम आँखों से.
बांध देती सारे जज्बात मेरे.
उन कमसिन हयावत आँखों से.
कोई तो बात थी उन हशीन आँखों मे.....१
आज मैं दुर हु उन आँखों की सरपरस्ती से.
डरता हुं,कही देख ना ले मुझे गुरबत के घेरे में.
आँखे जो ढुंढती कभी दिन रात मुझे.
वो शर्माना नजरो को चुराना.
कोई तो बात थी उन हशीन आँखों मे.....२
#अवध 💏
बस डरता हुं उस गुमनाम आँखों से.
बांध देती सारे जज्बात मेरे.
उन कमसिन हयावत आँखों से.
कोई तो बात थी उन हशीन आँखों मे.....१
आज मैं दुर हु उन आँखों की सरपरस्ती से.
डरता हुं,कही देख ना ले मुझे गुरबत के घेरे में.
आँखे जो ढुंढती कभी दिन रात मुझे.
वो शर्माना नजरो को चुराना.
कोई तो बात थी उन हशीन आँखों मे.....२
#अवध 💏
Comments
Post a Comment