अवधेश कुमार राय तेरी हर बात मुहब्बत में गवारा कर के. दिल के बाजार में बैंठे इशारा कर के. सोच में हुं सितारो की जरा आंख लगे. चांद को छत पर बुला लुंगा इशारा कर के. आसमानो की तरफ फेंक दिये हैं, हमने. चंद मिट्टी को चिरागो का.सितारा कर.के. एक चिंगारी नजर आती हैं, बस्ती में उसे. वो अलग हट गया.आंधी को इशारा कर के. मैं वो दरियां.जिसमें हर बुंद भंवर जैंसी. तुम ने.अच्छा किया.मुझसे किनारा कर के. #अवध