ग़ज़ल
कहाँ लिखू मैं पैगाम, ना जवाब आया.
ये चिठ्ठी , ये खत ना जवाब आया ,,,1
कोशिश की हमने लिखने का तेरा नाम.
कागज़ो को तुझ पर ऐतबार आया.
ये बोझिल हुई नज़रे तुझे एकटक देखकर,,,2
ख्याल आया तेरी गलियों में घूमकर।
अमावश की रातों में जब रोशन थी गलिया।
पी रहा था , जाम मैं तेरे आंशू को घोलकर।
ये खुशनुमा पल कहीं अलगार न कर जाये।
रात की ख़ामोशी तुझ से प्यार ना कर जाये,,,,3
कहाँ लिखू मैं पैगाम , न जवाब आया।
ये चिठ्ठी , ये खत न जवाब आया। 4
गूंजने लगी गलियां खनकती पाजेब से.
यहीं कही हो इस मचलती बहार में.
कह दो अम्मा से , क्यों टूटे बहार में.
क्या लिखा था खत , तुम मेरे नाम में. 5
ये छोटे से जवाब बहुत कुछ कहते है.
मेरी तन्हाई तुझे पूछते है. 6
ख्वाब के सितारे खिन अलगअर न कर जाये.
रात की ख़ामोशी तुझसे कहीं प्यार न हो जाये.
अधूरी से हो ,अगर परछाई मेरी.
संभाले रखा खत की जवाबी तेरी. 7
सुना है, लोग पूछते है इस उश्र पर मेरा नाम.
कह क्यों न देती हो तम्मना मेरा।
कुरान की मैं में ढूंढती मुझे
घुल चुकी हो रामायण की चौपाई में. 8
ये फ़ासले मिटाती गगन की पुरवाई।
हवाएं बताती खैरियत तेरी। ..... 9
कहाँ लिखुँ , ,मैं पैगाम ना जवाब आया.
ये चिठ्ठी , य खत ना जवाब आया......... 10
अवधेश कुमार राय : "अवध"
ये चिठ्ठी , ये खत ना जवाब आया ,,,1
कोशिश की हमने लिखने का तेरा नाम.
कागज़ो को तुझ पर ऐतबार आया.
ये बोझिल हुई नज़रे तुझे एकटक देखकर,,,2
ख्याल आया तेरी गलियों में घूमकर।
अमावश की रातों में जब रोशन थी गलिया।
पी रहा था , जाम मैं तेरे आंशू को घोलकर।
ये खुशनुमा पल कहीं अलगार न कर जाये।
रात की ख़ामोशी तुझ से प्यार ना कर जाये,,,,3
कहाँ लिखू मैं पैगाम , न जवाब आया।
ये चिठ्ठी , ये खत न जवाब आया। 4
गूंजने लगी गलियां खनकती पाजेब से.
यहीं कही हो इस मचलती बहार में.
कह दो अम्मा से , क्यों टूटे बहार में.
क्या लिखा था खत , तुम मेरे नाम में. 5
ये छोटे से जवाब बहुत कुछ कहते है.
मेरी तन्हाई तुझे पूछते है. 6
ख्वाब के सितारे खिन अलगअर न कर जाये.
रात की ख़ामोशी तुझसे कहीं प्यार न हो जाये.
अधूरी से हो ,अगर परछाई मेरी.
संभाले रखा खत की जवाबी तेरी. 7
सुना है, लोग पूछते है इस उश्र पर मेरा नाम.
कह क्यों न देती हो तम्मना मेरा।
कुरान की मैं में ढूंढती मुझे
घुल चुकी हो रामायण की चौपाई में. 8
ये फ़ासले मिटाती गगन की पुरवाई।
हवाएं बताती खैरियत तेरी। ..... 9
कहाँ लिखुँ , ,मैं पैगाम ना जवाब आया.
ये चिठ्ठी , य खत ना जवाब आया......... 10
अवधेश कुमार राय : "अवध"
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