अवधेश राय कुछ कह रही थी चांद मुझ से. कुछ नगमें सुनाओ यार के. कहां खोये हो नुर -ए- मौसम. तुम्हारी मंजील नहीं बिते दियार में. कुछ कह रहीथी चींद मुझसे. कयां बताऊं रात -ए- मुशाफिर. गुमनाम हुं, ना कोई कलमों का सागिर्द रात कि निखरती हुश्न में मैं कहां तुम कहां. कोई नहीं अब मंजील के दियार में. #अवध
भारत तालिबान बनने की ओर अग्रसर है, यदि मैं ये कहूँ, तो आप की पहली प्रतिक्रियाँ क्यां होगी। चौकिये मत इसका जवाब मध्य दिल्ली के चाँदनी चौक के पास कुछ सेक्युलर लोंगो ने पार्किंग को लोकर कहाँ सुनी में हिंदु मंदिर को तोङ दिय़ा। अल्लाह हुँ अकबर कहते हुए मंदिर का दरवाजा प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया है। इसे लेकर देश में कोई उबाल नहीं हैं। ये खूद को अल्पसंख्य़क होने का रोना रोते हैं। देश के बहुसंख्यक समाज की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाते हैं, अब देश खतरे में नहीं है, किसी प्रकार की कोई असहिष्णुता नहीं है, कैंसे ये मंदिर पर हमला कर सकते है, देश में अब तक कितने मंदिर तोङे जा चुके है, एक बाबरी मस्जिद के नाम पर इनके सियासी सलाहकार सियासत करते आये है, अब हिंदुओं की भावनाओं का सुध लेने वाला कोई नहीं। जो हिंदुओं के नाम पर राजनिति करते हुए फर्स से अर्श पर चली गई। प्रचंड जनादेश दिया देश के तमाम हिंदु परिवार नें । चले थे, कश्मिर में कश्मीरी पंडितों को बसाने अब करने लगे तुष्टिकरण। भाजपा के नेता इससे बच नहीं सकते दिल्ली की पुलिस केंद्र सरकार के अधिन है, जो कुसुरवार है, उसे सख्त से सख्त...
अंदाज उनकी कयामत रहा साकी, मेरे दिल की अवाज लियाक़त रही साकी. सांसों में कौंधती रही तेरी सबनमी एहसास . मैं और ये रात अंधेरे में ढुढंती तेरी आवाज, सनम मेरी दिलकश गुमनामी अंदाज, मेरे महबूब ये दिलकशी अंजाम, रुहो से हो गये जुदा , तेरी दिल और सबनमी अंदाज . जरा गौर कर दिल की बारगी पर. मेरे लफ़्ज तेरी आवाज, यनम मेरी दिलकश गुमनामी अंदाज. मेरे महबूब ये दिलकशी अंदाज, #अवध 🌠
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