शाकी और शराब
मलिन हुआ मुख मेरा साकी.
चल लाऊ उठा के मध प्याला .
कही पङी अंगुर लता हैं,
मन भाव में मिश्रीत मधुशाला.
धीरे - धीरे पिला दुं साकी.
कही यौवन ना बिताने जायेगा.
अंगुर की प्रेम व्यथा पर.
मन भाव मे मिश्रीत मधुशाला,
#अवध
Comments
Post a Comment