मुलाकात
मेरे महबूब मुलाकातो का दौर अब मुकम्मल ना रहा.
इस तंहाई की बिरहन में जीना मुकम्मल ना रहा.
लौट आ खुदगर्ज अपने आशीफ की सुनी महफिल में,
दिये जला रहा तेरी नाम की सुनी महफिल में,
#अवध
इस तंहाई की बिरहन में जीना मुकम्मल ना रहा.
लौट आ खुदगर्ज अपने आशीफ की सुनी महफिल में,
दिये जला रहा तेरी नाम की सुनी महफिल में,
#अवध
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