देश प्रेम
मेरा प्रेम नही मैं पत्थर साहिल.
फुलों की एक दिन रही.
तोङ लिया मुझ को डाली से.
फेंक दिया मौला पर ही.
मेरा प्रेम मेरा ही इश्वर शाश्वत.
चांहु ना कुछ और कोई.
फेंक दे मुझको अंधेरी जज्बातो में.
मैं तेरे नौयौवन की रसधार नही.
प्रेम विराग कि नवयुग बेला.
मैं तेरा यौवन का श्रृगार नही.
मेरा मुल्क प्रेम मेरा इश्वर शाश्वत.
चांहु ना मैं कुछ और कोई.
#अवध💑
फुलों की एक दिन रही.
तोङ लिया मुझ को डाली से.
फेंक दिया मौला पर ही.
मेरा प्रेम मेरा ही इश्वर शाश्वत.
चांहु ना कुछ और कोई.
फेंक दे मुझको अंधेरी जज्बातो में.
मैं तेरे नौयौवन की रसधार नही.
प्रेम विराग कि नवयुग बेला.
मैं तेरा यौवन का श्रृगार नही.
मेरा मुल्क प्रेम मेरा इश्वर शाश्वत.
चांहु ना मैं कुछ और कोई.
#अवध💑
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