इंतजार
राते गिनने लगे हुज़ूर अब उंगलियों पर.
कब मिटगे दुरी अब शहर से गांवों कि.
यह सताने लगी अब तो रात सिहरन मुझे .
कयां होगा हाल तुमहार गाव की पनघट पर.
यह दुरियां अब लंबी हो चुकी हैं.
महज बिते अभी महीने के पन्ने .
लगता उधङ गये शादियों के नगमें.
मेरी पहचान तुम्हारे होंठों कि रंगत.
#अवध 💪
कब मिटगे दुरी अब शहर से गांवों कि.
यह सताने लगी अब तो रात सिहरन मुझे .
कयां होगा हाल तुमहार गाव की पनघट पर.
यह दुरियां अब लंबी हो चुकी हैं.
महज बिते अभी महीने के पन्ने .
लगता उधङ गये शादियों के नगमें.
मेरी पहचान तुम्हारे होंठों कि रंगत.
#अवध 💪
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