इजहार
जब - जब कागजों के करीब आता हुं.
ना जाने कलम कलम कयों कागजों पर तेरा नाम लिखता हैं.
फिरते सुबह शाम तेरी गली के इर्द गिर्द.
अपनी मोहब्बत का इजहार करता हैं.
चांद पर छांक कर लिखती तेरी यौवन.
मैं लिखता फसाना इजहार -ए- मोहब्बत.
#अवध👫
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